भीषण गर्मी में हीट पर बीट

इस साल मिट्टी से बने बर्तन और मटकों की बिक्री अधिक बढ़ी है इसकी मुख्य वजह रिकॉर्ड तोड़ भीषण गर्मी है, मटकों के बारे में जानिए राजप्रताप की इस खास रिपोर्ट में।

चिलचिलाती गर्मी से लोगों का गला सूख रहा और लोग विचलित हो रहे हैं। फिर भी लोग फ्रिज के ठंडे पानी से दूरी बना रहे हैं। फ्रिज के ठंडे पानी से गला खराब व अन्य प्रकार की बीमारी हो रही हैं। इन सब बीमारियों से बचने के लिए हर बार की तरह इस बार भी ‘मटके’ हीट को बीट करने लिए तैयार हैं।

राजधानी में गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की मिट्टी से बने झज्जर, गुटका, घड़ा, घड़िया और माट मटके 1 लीटर से लेकर 40 लीटर तक के मटके सेल हो रहे हैं।

मटकों की पहचान

गुजरात के मटके की मिट्टी काली और लाल होने के साथ चिकनी और हार्ड होती है। मटका हल्का और मजबूत होता है। गुजरात के मटकों पर सबसे सुंदर पेंटिंग होती हैं। यहां के मटके 2 सीजन तक चल सकते हैं। मटकों की बनावट सबसे अलग है। मटका चपटा होता है। इनकी कीमत 250 से 1000 तक होती हैं। गुजरात के मटकों के मुंह का किनारा बड़ा होता है।

हरियाणा के मटका भारी होते हैं। यह पियोर काली मिट्टी से बना होता है। यहां के मटकों की कीमत 80 से 500 तक होती है। हरियाणा के मटकों के मुंह का किनारा सबसे बड़ा होता है।

राजस्थान के मटके की मिट्टी गुजरात की मिट्टी से मिलती-जुलती है। यहां की मिट्टी में पीलापन बहुत होता है। यहां के मटकों पर कोई भी कलर नहीं किया जाता। राजस्थान के मटकों के मुंह का किनारा छोटा होता है। इनकी कीमत 100 से 500 के बीच होती है। मटकों पर सुंदर आकृति भी देखने को मिल जाएंगी।

उत्तर प्रदेश के मटकों में बालू के साथ चिकनी मिट्टी शामिल होती है। यहां के मटकों का नाम झज्जर होता है। ये मटके सबसे ज्यादा पानी को ठंडा करते हैं। बालू होने के कारण मटकों में वजन अधिक होता है। सभी मटकों पर डिजाइन होती है। सांचे में डालकर मटकों को बनाया जाता है। इनकी कीमत 150 से शुरू होती है।

ग्राहकों के बीच डिमांड

मटका बेचने वाली सुमित्रा ने बताया ग्राहकों के बीच टोंटी वाले मटकों के साथ गुजरात और राजस्थान के मटकों की खास मांग हैं, क्योंकि गुजरात के मटके दिखने में सबसे अगल हैं, मटकों पर बने चित्र भी खास हैं। सबसे ज्यादा बिकने वाले मटके 15 से 20 लीटर वाले होते हैं।

विक्रेता सतवीर सिंह ने बताया कि 10 लीटर का मटका सबसे ज्यादा सेल होता है। मटकों के साथ मिट्टी से बने दही हांडी, बोतल, कप, तवा, मग, गिलास, भगोना, स्टैंड, कढ़ाई, कूकर और जग भी सेल होते हैं।

कुछ लोगों को यह कहते हुए सुना होगी कि मटके का इस्तेमाल सिर्फ गरीब लोग करते हैं इस भ्रम को तोड़ते हुए मटका खरीदने वाले ग्राहक तुषार ने बताया कि उनके घर में दो फ्रीज हैं। फिर भी पूरा परिवार गर्मियों के समय पर अन्य प्रकारों के बीमारियों से बचने के लिए मिट्टी से बने मटके का इस्तेमाल करते हैं।

मटके के पानी को ठंडा रखने के टिप्स

मार्केट से मटका खरीदकर लाने के बाद 1 या 2 लीटर पानी डालकर उसे धो दें और मटके में हाथ न डालें। उसके बाद पीने का पानी भर कर रख दें। इस बात का ध्यान रखें मटके को बंद कमरे में कभी न रखें। मटके को बोरी, तौलिया या सूती कपड़े से कवर करके रखें। मटके को ऐसी जगह रखें जहां छाया के साथ हवा का आदान-प्रदान हो, जिससे पानी अधिक सुगंधित और ठंडा रहता है। मटके में एक तांबे का सिक्का डाल देने से पानी अधिक स्वादिष्ट और शरीर के लिए फायदेमंद हो जाता है।

मटके के पानी पीने के फायदे 

मटके का पानी पीने से पाचन तंत्र में सुधार होता है और इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है। पेट को ठंडक मिलती है और लू लगने का खतरा कम होता है। पानी पीने से पेट शांत होता है इससे त्वचा के फोड़े फुंसी और मुंहासे दूर होते हैं और त्वचा में चमक आती है। शरीर को जरूरी मिनरल्स मिलते हैं। आयरन की कमी को दूर होती है।

मटका खरीदते वक्त किन-किन बातों का ध्यान रखें।

मटके को चारों तरफ से चेक कर लें कि कहीं मटका चटका हुआ तो नही है, अगर ऐसे भी समझ में न आए तो मटके में थोड़ा पानी भर के अवश्य चेक करें।

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