थियेटर डायरेक्शन का जुनून रखने वाले मुज़म्मिल भवानी फिल्मों में एक्टिंग की रूचि रखते हैं

केसरी 2019 की सबसे सफल फिल्‍मों में से एक थी। लंबी-चौड़ी स्‍टारकास्‍ट वाली, इस फिल्‍म में एक ऐसा भी एक्टर था। जिसके बारे में बहुत से लोगों को मालूम नहीं होगा। वह एक्टर कोई और नही, “मुज़म्मिल भवानी” हैं जो फिल्‍म में छिपकर बंदूक से निशाना लगाते हैं। मुज़म्मिल स्‍क्रीन पर मुश्‍किल से 10 मिनट तक नजर आए होंगे लेकिन उस दौरान उनके एक्‍सप्रेशन, गेटअप ने पूरी फिल्‍म में जान डाल दी। मुज़म्मिल ने बजरंगी भाईजान, हैदर, पदमावत, जॉली एलएलबी 2 इत्यादि फिल्मों में अभिनय किया है। जॉन अब्राहम की अगली फीचर फिल्म “द डिप्लोमैट” में एक किरदार निभा रहे हैं। मुज़म्मिल ने बताया कि 7 साल की उम्र से थियेटर कर रहे हैं और वह कश्‍मीर से ताल्‍लुक रखते हैं। एनएसडी से पढ़ाई कर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। प्रस्तुत है हाल में मुज़म्मिल भवानी से हुई राजप्रताप सिंह की बातचीत के कुछ अंश:

Q1, आप अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रोग्राम डायरेक्टर हैं, इसके बारे में कुछ बतायें?

A1, इस यूनिवर्सिटी की एक लेग़सी और हिस्ट्री है, ये अपने आप में एक अलग दुनिया है। जब आप किसी हिस्ट्री का हिस्सा बन जाते हो तो प्राउड फील करते हो। इतने बड़ी यूनिवर्सिटी पार्ट बनना प्राउडी फील हो जाता है। वो मैं लब्जों में बयाँ नहीं कर सकता।

Q2, AMU में प्रोग्राम डायरेक्टर की जोइनिंग कैसे हुई?

A2, AMU में जॉब को लेकर, मुझे एक फ्रेंड के जरिए पता चला। जिस शक्स ने AMU के लिए मेरा फॉर्म और DD भरा, उनसे आज तक मुलाकात नही हुई है। सिर्फ फ़ोन पर बातचीत हुई है। जिस ने मेरा फॉर्म भरा था उन्होंने मेरे NSD के जूनियर को फ़ोन किया और जॉब के बारे बताया। मेरे जूनियर ने मेरा रेफरेंस दिया। इस पोस्ट के लिए NSD या FTII पास आउट चाहिए था। उन्होंने मुझे जब फ़ोन किया तब मैं एयरपोर्ट पर था। फ़ोन पर उन्होंने कहा – मुज़म्मिल AMU में पोस्ट निकली हैं भरोगे। कश्मीर में AMU नाम बहुत चर्चित है। लेकिन मैंने लास्ट डेट पूछकर छोड़ दिया फॉर्म फिल नही किया। पांच दिन बाद फिर उनका फ़ोन आया। उन्होंने मेरे डॉक्यूमेंट मांगे और कुछ समय के बाद AMU में इंटरव्यू देने चला गया। मज़े से इंटरव्यू दिया। उसके बाद 4-5 पेपर और वाइवा दिया, मुंबई चला गया। कुछ समय बाद मेरे पास फ़ोन आया कि आपकी जॉब लग गई है, मैं हैरान हुआ फिर सीनियर से बातचीत कर AMU जॉइन कर लिया। अब अच्छा लग रहा है देश की बड़ी यूनिवर्सिटी का पार्ट बनके। AMU जॉइन करने से घर वाले बहुत खुश हुए। ऐसे मौके बहुत कम आते हैं कि घर वाले आपसे खुश हो जायें।

Q3, आपने सहायक निर्देशक, एक्टर, और प्ले बैक सिंगर का भी कार्य किया है, आप किस दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं?

A3, मैंने 7 साल कि उम्र से एक्टिंग में करियर शुरू किया था। हमारे घर पर थियेटर का माहौल था, मेरे चाचा एनएसडी से पास आउट हैं, उन्होंने कहा प्ले में काम करोगे तब उनके साथ काम किया। शिमला में शो हुआ। जूरी ने मुझे प्रोत्साहन किया। उसके बाद लगातार थियेटर से जुड़ा रहा साथ में एनएसडी से पढ़ाई पूरी की। एक दिन मुझे विशाल सर कि ऑफिस से फ़ोन आया उन्होंने कहा फिल्म “हैदर” में सहायक निर्देशक का काम करोगे। यह मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात थी। मैंने उनको असिस्ट किया। फिल्म में विशाल सर ने मुझे एक छोटा रोल दिया, वह पूरी शिद्दत से निभाया। फिल्म में एक गाना था, सर को उसमे कश्मीरी फ्लेवर चाहिए था। सर के कहने पर चाचा, दोस्त और मैंने मिलकर गाना गाया। और रही बात दिशा में आगे बढ़ने की तो फिल्म में काम मिलता रहेगा तो एक्टिंग करूँगा लेकिन मुझे थियेटर प्ले डायरेक्ट करने में बहुत मज़ा आता है।

Q4, आपने फिल्म केसरी में स्नाइपर वाले सीन को यादगार बना दिया, उस सीन के लिए क्या तैयारी की थीं?

A4, इसका क्रेडिट डायेक्टर अनुराग सर को जाता है। शूट से पहले अक्षय कुमार को छोड़कर सभी कलाकारों की मुंबई में वर्कशॉप कराई। वहां पर ट्रेनिंग और रीडिंग सेशन चलता था। मैं भी अच्छे से पार्टिसिपेट करता था। जब हम रीडिंग करते थे, तब मेरी एक या आधी लाइन थी। डायरेक्शन टीम ने बताया एक स्नाइपर आएगा, गोली चला के चला जाएगा। मुझे अन्दर से लगा कहाँ आ गया इसमें मेरे लिए कुछ भी नही है। फिर लगा सर ने बिना काम के नहीं बुलाया होऊंगा। अनुराग सर हर अगले दिन के लिए टास्क देते थे। करेक्टर डेवलप और लुक डेवलप करना सर के साथ डिस्कशन होता था। सर इनपुट देते थे, मैं भी इनपुट देता था। सीन शूट भी नही हुआ था तब मैंने इंप्रोवाइजेशन किया सर को बहुत पसंद आया। सीन के लिए नेल पेंट और मेहँदी लगाई थी शुरू में मुझे अजीब लग रहा था लेकिन फिल्म में ये वर्क कर गई, ऑडियंस ने प्रंशंसा की।

Q5, केसरी फिल्म के बाद सिनेमा में कम दिखाई पड़े। इतना गैप क्यूँ?

A5, उसके बाद वैसे रोल ऑफर नहीं हुए जो मजेदार हो। केसरी के बाद रोल किये वो इतने इम्पैक्ट फुल नहीं थे। तनाव सीरिज जिसे सुधीर मिश्रा सर ने डायरेक्ट की। सर के साथ काम करने का मन था, उसमें ज्यादा बड़ा रोल नही था। लेकिन मैंने ये पर्सनल लर्निंग के लिए किया। कुछ प्रोजेक्ट ऐसे करता हूँ जिससे इन फ्यूचर फायदा मिले। कुछ प्रोजेक्टों का इंतज़ार कर रहा हूँ जिसमे इम्पैक्ट फुल रहे।

Q6, आपकी आने वाली फिल्म द डिप्लोमैट है, इसमें किस तरह का किरदार निभा रहें हैं?

A6, फिल्म रिलीज़ होने के बाद इस पर खुल कर बात करेगें।

Q7, क्या इंडस्ट्रीज में NSD के एलुमनी एक दुसरे का सपोर्ट करते हैं, इसका फायदा मिला आपको?

A7, सपोर्ट करते हैं, नही भी। एनएसडी हमारी फैमली जैसी है। एनएसडी के एलुमनी का कनेक्शन बहुत अच्छा बन जाता है। एनएसडी की वाइब है कि जो आपके बैच मेट हैं उनके पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर के बारे में सब पता होता है कि कैसा नेचर है कहाँ से ब्लोंग करता है। पहला, अब कल्चर चेंज हो चूका है जब कोई फिल्म बन रही होती है तो वह प्राइमरी कास्ट का मुंबई में ऑडिशन कर लेते हैं बाकी कास्ट का ऑडिशन उसी स्टेट में करते हैं जहाँ फिल्म शूट होगी।

दूसरा ये होगा गया है कास्टिंग डायरेक्टर कैरेक्टरस कि लिस्ट पब्लिश कर देता है, कलाकार उसी हिसाब से ऑडिशन शूट करके व्हाट्सएप या ई मेल पर भेज देते हैं। कास्टिंग डायरेक्टर को जो पसंद आते हैं उनको सलेक्ट कर लेते है। रेफरेंस वाला सिस्टम खत्म-सा हो गया है।

Q8, द आर्चीज फिल्म को बॉलीवुड और मीडिया ने इस तरह दिखाया कि यह फिल्म इस साल की सबसे बड़ी फिल्म है, लेकिन इंडियन एक्सप्रेस ने 2.5 रेटिंग दी है, इसके बारे आपकी क्या राय है।

A8, मैंने अभी फिल्म देखी भी नही है। बिना फिल्म देखे इसके बारे में राय नहीं रख सकता कि अच्छी है या खराब है

Q9, AMU में, आपके साथ जुड़ने की प्रक्रिया क्या है?

A9, कोई भी छात्र AMU से किसी भी स्ट्रीम से पढ़ रहा हो। चाहे वो एमबीबीएस, बी.ए, इंजीनियरिंग या डिग्री हो डिप्लोमा। पढ़ाई के अलावा जिसकी जो हॉबी हो जैसे सिंगिंग, डांसिंग, राइटिंग या डायरेक्शन, पेंटिंग, फिल्म, ड्रामा, फोल्क एंड ट्रेडिशन इत्यादि। कल्चरल एजुकेशन सेंटर के जरिए ड्रामा क्लब कि मेंबर शिप लेकर जुड़ सकता है।

Q10, पाकिस्तानी कलाकारों पर भारत ने प्रतिबंध हटा दिया गया है, इसके बारे में आपकी क्या राय है?

A10, आई थिंक कल्चर की बाउंड्रीज़ नही होनी चाहिए। इंडियन एक्टर भी हॉलीवुड में काम करते हैं। लेकिन इसके बारे में सरकार और एडवाइजर, हम से बेहतर जानते हैं। हम उनको सलाह नही दे सकते। उनको जो सही लगेगा, हमारे और देश के हित में होगा वही करेंगे। वो हमसे से बेहतर सोचेंगे

Q11, आप प्रोग्राम डायेक्टर हैं, इस बीच फिल्म की शूटिंग के लिए समय कैसे निकालते हैं?

A11, मैं थियेटर डायरेक्ट करता हूँ। फिल्मों में पर्सनल शौक है। थियेटर में डायरेक्शन सीखा है मेरा क्राफ्ट भी यही है। जब समय मिलता है तो करते हैं।

Q12, आपका पूरा नाम एम. मुज़म्मिल हयात भवानी है, आपने छोटा नाम मुज़म्मिल भवानी रख लिया है इसकी कोई खास वजह?

A12, ये बचपन से रखा गया है। सर्टिफिकेट में पूरा नाम नहीं आ पाता था। (हसते हुए) एक बार किसी ने आधा ही नाम लिख दिया मैंने उससे पूछा - पूरा नाम क्यूँ नहीं लिखा। उन्होंने कहा – सर्टिफिकेट में जगह नही थी।

तो बहुत से लोगों को नाम लिखने और बुलाने में दिक्कत हो जाती थी। पापा ने ये नाम सोच समझ के लिखवाया था। मुझे नाम बताने में ये फीलिंग आती थी कि नाम बताते-बताते गोवा पहुँच जायें। इसी लिए मुज़म्मिल भवानी रख लिया।

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