काम करने को मजबूर नाबालिग, पढ़ाई से कोसों दूर

राजप्रताप सिंह

नई दिल्ली, 7 नवंबर।

13 वर्ष के कपिल की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण, पढ़ने की उम्र में मोमोज की दुकान पर काम कर रहे हैं। कपिल की तनख्वाह से उनका घर चलता है, पढ़ने की चाहत होते हुए भी नहीं पढ़ पा रहे हैं। कपिल ने बताया कि उनका परिवार पड़ोसी देश नेपाल से आकर दिल्ली में 10 साल पहले बसा था। पूरे परिवार के पास आधार कार्ड है। दो बहनों की शादी करने हेतु उनको और उनके माता-पिता को मजदूरी करनी पड़ रही है। अगर मैं पढ़ने जाऊंगा तो घर की स्थिति बहुत खराब हो जाएगी महंगाई में खाने के लाले पड़ जाएंगे।

यदि कोई व्यक्ति किसी 14 साल या उससे कम उम्र के बच्चे को काम पर लगाता है, तो उसे 2 साल तक की सजा हो सकती है, साथ ही 50 हजार रूपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

कानून होते हुए भी कुछ लोग बच्चों को काम पर रख लेते हैं।

शिक्षा का अधिकार

सविंधान के 86 वें संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा 21(A) जोड़ा गया जिसके तहत राज्य कानून बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएगा। इस कानून में शिक्षा के साथ छात्रवृति के भी प्रावधान हैं। फिर भी छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगते हुए और दूकानों पर काम करते मिल जाएंगे।

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